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श्री हनुमान जी के मुख्य मंदिर भारत में | India top 10 Hanuman Temple

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श्री हनुमान जी के मुख्य मंदिर भारत में

श्री बालाजी महाराज कलियुग में भी चीरंजीवी है | भगवान् श्री गणेश और हनुमान भक्तो की संख्या पुरे भारत भर में अत्यधिक है | यही कारण है की इन दोनों देवताओ के भारत में अनेको मंदिर है |
हम आपके समक्ष श्री बालाजी हनुमान के मुख्य मंदिर लेकर आये है | जाने कौन कौन से विश्व् प्रसिद्द बालाजी मंदिर और किस जगह स्तिथ है |

भारत में चमत्कारी और प्रसिद्ध हनुमान मंदिर और उनकी महिमा

  • महावीर मंदिर पटना
  • बड़े हनुमानजी मंदिर
  • इच्छापूर्ण हनुमान मंदिर
  • भदर मारुती मंदिर

सबसे बड़े श्री हनुमान जी के मंदिर

  • मेंहदीपुर बालाजी मन्दिर
  • सालासर बालाजी मंदिर
  • हनुमान धारा मंदिर
  • बाला हनुमान मंदिर जामनगर
  • हनुमान गढ़ी अयोध्या

महावीर मंदिर पटना

महावीर मंदिर पटना हनुमान जी के मुख्य मंदिरो में से एक है | हजारो भक्त रोज अपनी मनोकामना पुर्ति के लिए इस मंदिर में आते है | इसे मोनोकामना पुर्ति मंदिर भी कहा जाता है जहा भक्तो की मनोकामनाये पूर्ण होती है |

दो रूप दो मूरत हनुमान जी की :

यह मंदिर बाकि हनुमान मंदिरो से कुछ अलग है | यहा बजरंग बलि की 2 मुर्तिया खड़े रूप में है | एक मुर्ती परित्राणाय साधूनाम् अर्थाथ अच्चे लोगो के कारज पूर्ण करने वाली है और दुसरी मूरत ( विनाशाय च दुष्कृताम् ) बुरे लोगो की बुराई दुर करने वाली है |

पटना में महावीर मंदिर कहा स्तिथ है :

यह मंदिर पटना रेलवे स्टेशन से निकल कर उत्तर दिशा की निकासी पर थोड़े दुर की दुरी पर स्तिथ है |

बड़े हनुमान मंदिर इलाबाद

बड़े हनुमान मंदिर संगम के पास स्तिथ है | यह मुर्ती वीर मुद्रा में है जिनके बड़े हाथ और बलिस्थ शरीर है | हनुमान भक्त इस हनुमान प्रितिमा को देखकर वीररस से भर जाते है | यह मंदिर तीर्थराज प्रयाग के करीब तीनो महानदियो गंगा , यमुना और सरस्वती के संगम पर है |

हनुमानजी के दाये पैर के निचे अहिरावन और बाये पैर के निचे अहिरावन की आराध्य देवी कमादा देवी है | इसी मूरत के पास श्री राम और लक्ष्मन जी की मुर्तिया स्तिथ है |

इस मंदिर का इतिहास :

कन्नोज शहर में एक बड़ा धनवान व्यापारी रह्ता था पर उसके जीवन का कोई लक्ष्य नहीं था | उसने इस बात पर एक हनुमान जी का मंदिर निर्माण करने की ठान ली | वह विन्दाचल पर्वतमाला में बालाजी के मंदिर का निर्माण पुत्र पाने की आश में करा दिया और बड़े भारी पत्थर से हनुमान जी की मुर्त का निर्माण करवाया | मूरत निर्माण के बाद व्यापारी ने इस हनुमान मूरत को विभिन्न तीर्थ जगह पर स्नान करवाया | जब व्यापारी प्रयाग तीर्थ पर स्नान करवा रहा था उसी रात को सपने में हनुमान जी ने उसे इस मुर्ती को यही छोड़ने के निर्देश दिए | हनुमान के कहने पर व्यापारी ने उस प्रतिमा को वही छोड़कर अपने शहर कन्नोज चला गया |

समय बितता रहा और उसे एक हनुमान कृपा से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई | व्यापारी अपने पुरे परिवार के साथ उसी बड़े हनुमानजी के मंदिर आशिष प्राप्ति के लिए आया | समय के साथ यह मूरत पवित्र पानी में समा गयी और फिर समय के साथ मिटटी से ढक गयी बहूत समय बाद प्रयाग के संगम पर तपस्वी महात्मा बालागिरी बाघ की खाल पहने हुए माघ के पवित्र महिने में आये और संगम में दुबकी ली | उन्हें अह्सास हुआ की पास में कही हनुमान की मूरत है | अपने दिव्या त्रिशूल को जमीन में अलग अलग जगह डाल कर एक जगह पाया की मूरत इस जगह है | आस पास के लोगो के साथ उस जगह की खुदाई की गयी और हनुमान जी की मूरत को लेटा हुआ पाया गया | उन सभी ने लाखो कोशिश की , की मूरत को सीधा खड़ा कर दे पर वो सभी असफल रहे | यही हनुमंत आज्ञा मानकर मंदिर का निर्माण कर दिया गया जो आज बड़े हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है |

इच्छापूर्ण हनुमान मंदिर

इच्छापूर्ण हनुमान मंदिर राजस्थान में चूरू जिले में 50 km पच्शिम में सरदारशहर के बाहरी तरफ पड़ता है | जयपुर से 189 kms और दिल्ही से 282 kms की दूरी पर यह मंदिर स्तिथ है | यह मंदिर बहूत ही आकर्षित और सुन्दर है |

हनुमान जी की मूरत :

इस मंदिर में हनुमान जी की मूरत बेठे हुए रूप में है जो अपने भक्तो को आशीष देती हुई नजर आते है | यह मूरत वानर राज महाराजा के दर्शन देती है | एक हाथ आशीष देता हुआ और अन्य हाथ में सोने की गढ़ा है

पूरा मंदिर अद्भूत शिल्पकला से सुसज्जित है | इस मंदिर में बहूत ही प्यारी कलाकारी देखते ही बनती है | बाहरी दीवारो पर भारतीय कारिगिरी और सभ्यता दर्शन अनुठा है जिसमे भारतीय दर्शन की झलक दिखाई देती है | मंदिर के द्वार पर श्री गणेश रिद्दी सिद्दी के साथ भक्तो का स्वागत करते नजर आते है | लाल पत्थर से बना यह मंदिर महीन कला से मन मोहने वाला है | इस मंदिर में भगवान् श्री गणेश और श्री राम की प्रतिम्बा भी ह्र्दय को छुने वाली है | पुरे भारत वर्ष से हजारो भक्त इस मंदिर की भव्यता को देखने रोज आते है |

भदर मारुती मंदिर

भदर मारुती मंदिर खुलदाबाद भगवान् श्री हनुमान को समर्प्रित मंदिर है | यहा श्री हनुमानजी की मूरत सोने की (निद्रा) लेने की या लेटी हुई अवस्था में है | यह मंदिर औरन्गाबाद महाराष्ट्रा में पड़ता है | इसके करीब ही एलोरा की गुफाये है | यह मंदिर भारत के उन तीन मंदिरो में से एक है जहा श्री बालाजी सोते हुए अवस्था में है |

क्यों सोये हुए है हनुमान इस मंदिर में ?

यहा के लोगो के अनुसार यह जगह प्राचीन में भडरावती के नाम से प्रसिद्द था जिसके राजा भद्रसेना थे | राजा भद्रसेना श्री राम के परम भक्त थे और उनकी भक्ति में लगे रह्ते थे | वे उनकी भक्ति में मीठे मीठे भजन गाया करते थे | एक रात्री राजा जब श्री राम के लिए भजन पान कर रहे थे तब श्री हनुमान उनके पास आकर बेठ गये | मीठे मीठे भजन सुनकर श्री हनुमान राम भक्ति में खो गये और वही लेट् गये | और इस मुद्रा को भद्र समाधी कहा गया | भजन समाप्ती के बाद जब राजा ने श्री हनुमान को इस मुद्रा में देखा तो उन्से विनती की यह मुद्रा इसी तरह बनी रहे |तब श्री हनुमान ने उस राजा को यही आशिष देकर वहा से चले जाते है | तब फिर यहा भदर मारुती मंदिर का निर्माण होता है |

मेंहदीपुर वाले बालाजी

राजस्थान के सवाई माधोपुर और जयपुर की सीमा रेखा पर दौसा जिले में स्थित मेंहदीपुर कस्बे में बालाजी का एक अतिप्रसिद्ध तथा प्रख्यात मन्दिर है जिसे श्री मेंहदीपुर बालाजी मन्दिर के नाम से जाना जाता है । नास्तिक भी बालाजी के साक्षसात चमत्कार देखकर आस्तिक बन जाते है | भूत प्रेतादि ऊपरी बाधाओं के निवारणार्थ यहां आने वालों का जमघट लगा रहता है। तंत्र मंत्रादि ऊपरी शक्तियों से ग्रसित व्यक्ति बालाजी के आशिर्वाद से पूरी तरह रोग मुक्त होकर निकलते है । सम्पूर्ण भारत से और देश विदेश से भक्तो का यहा ताँता लगा रह्ता है |

मंदिर निर्माण :

यह मंदिर ऐसी जगह बना हुआ है जहा प्राचीन काल में बहूत हिन्सक जंगल हुआ करता था | समय के साथ अब यह एक छोटा क़स्बा बन चूका है | दो पहाडियो के बीच बालाजी का मंदिर बना हुआ है , जिसे घाटे वाले बालाजी के नाम से भी पुकारा जाता है | इस मंदिर में हनुमान जी बल रूप में विराजमान है जो अपने आप पहाड़ी के पत्थर से बने हुए है | इस मूरत की तर्ज पर बाकी मंदिर का निर्माण किया गया है |

चमत्कारिक पानी की धारा :

ध्यान से देखने पर हनुमान जी के सीने में एक छोटा सा छेद है जिसमे से निरंतर पानी की एक धारा बहती रहती है यह जल बालाजी के चरणों तले स्थित एक कुण्ड में एकत्रित होता रहता है, जिसे भक्त्जन चरणामृत के रूप में अपने साथ ले जाते हैं |

तीन शक्तिया एक साथ भूत प्रेत खाते है मुक्के और लात :

घाटे वाले बालाजी के अलावा यहा प्रेतराज सरकार और भैरवनाथ (कौतवाल) भक्तो की पीड़ा हरते है | दुखी कष्टग्रस्त व्यक्ति को मंदिर पहुंचकर तीनों देवगणों को प्रसाद चढाना पड़ता है । बालाजी को लड्डू प्रेतराज सरकार को चावल और कोतवाल कप्तान (भैरव) को उड़द का प्रसाद चढाया जाता है । इस प्रसाद में से दो लड्डू रोगी को खिलाए जाते हैं और शेष प्रसाद पशु पक्षियों को डाल दिया जाता है ।

मंदिर निर्माण का प्राचीन इतिहास :

श्री गणेश पूरी जी महाराज घाटे वाले बालाजी मंदिर के ११वे महंत के अनुसार उनके पुर्वज को एक रात्री सपने में हनुमानजी ने आदेश दिए की यहा तीन शक्तियो का मंदिर बनना चाहिए जो अपने भक्तो के संकतो को दूर करेंगे | अपनी साधना से हनुमान जी ने उन पुर्वज को वह जगह पहाड के बीच में बताई | इस तरह इस मंदिर का निर्माण हुआ |

सालासर बालाजी मंदिर

जयपुर बीकानेर सडक मार्ग पर स्थित सालासर धाम हनुमान भक्तों के बीच सिद्घपीठ शक्ति स्थल के रूप में जाना जाता है । सालासर कस्बा, राजस्थान में चुरू जिले का एक हिस्सा है और यह जयपुर – बीकानेर राजमार्ग NH 11 पर स्थित है. यह मंदिर सीकर से 57 किलोमीटर, सुजानगढ़ से 24 किलोमीटर और लक्ष्मणगढ़ से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | इस मंदिर में सालासर वाले बाला का होना बालाजी के चमत्कारों में से एक चमत्कार है।

सालासर बालाजी के दाढ़ी-मूंछ वाला एकमात्र मंदिर

भारतवर्ष के समस्त बालाजी के मन्दिरों में सालासर बालाजी के अलावा किसी ओर मन्दिर में बालाजी के दाढ़ी-मूंछ नहीं है। इसका कारण यह बताया जाता है कि मोहनदास जी ने बालाजी के पहले दर्शन दाढ़ी-मूंछ के रूप में ही किये थे अत: खेत में मिली मूरत भी दाढ़ी-मूंछ में पाई गयी |

मुस्लिम कारीगरो ने किया मंदिर का निर्माण :

श्री सालासर बालाजी के मंदिर का निर्माण मुस्लिम कारीगरो ने किया| कहा जाता है फतेहपुर से मुसलमान कारीगरो नूर मोहम्मद व दाऊ नामक कारीगरों को बुलाकर मंदिर बनवाया गया ।

सालासर बालाजी के मूरत का खेत से निकलना :

राजस्थान के नागपुर जिले में असोटा गांव में के दिन एक जाट किसान अपने खेत को जोत रहा था। अचानक उसके हल से कोई चीज़ टकराई , उसने उस जगह की मिट्टी को खोदा | खोदते समय उसे एक आवाज सुनाई दी | उसे मिट्टी में सनी हुई दो मूर्तियां मिलीं। घर पहुँच कर उसने अपनी पत्नी को वो मूर्तिया दिखाई| जाटनी कपडे से जब मुर्ती को साफ़ किया जो साक्षात् हनुमान जी के दर्शन पाये | वे दोनों मुर्तियो के सामने नत्मस्तक हुए और प्यार और भाव के साथ पूजा करने लगे | यह खबर पुरे आसोटा में आग की तरह फ़ैल गयी |असोटा के को सपने में बालाजी ने आदेश दिए की इस मूरत को को चुरू जिले में सालासर भेज दिया जाये। उसी रात भगवान हनुमान के एक भक्त मोहन दासजी महाराज ने भी अपने सपने में भगवान हनुमान या बालाजी को देखा और आदेश पाया की आसोटा से एक ठाकुर कल मूरत लेकर यहा आयेंगे उस मूरत से तुम्हे सालासर में मेरा मंदिर बनाना है | आदेश पर बालाजी के कारज हुए | और समय के साथ यह मंदिर अपने भक्तो के बीच चाहेता बन गया |

दुसरी मूरत को को इस स्थान से 25 किलोमीटर दूर पाबोलाम (भरतगढ़) में स्थापित कर दिया गया।

हनुमान धारा मंदिर

हनुमान धारा के बारे में कहा जाता है की जब श्री हनुमान जी ने लंका में आग लगाई उसके बाद उनकी पूंछ में लगी आग को बुझाने के लिए वो इस जगह आये जिन्हे भक्त हनुमान धारा कहते है | यह विन्ध्यास के शुरुआत में राम घाट से 4 किलोमीटर दुर है | एक चमत्कारिक पवित्र और ठंडी जल धारा पर्वत से निकल कर हनुमान जी की मूरत की पूँछ को स्नान कराकर निचे कुंड में चली जाती है |

कैसे निकली यह धारा :

कहा जाता है की जब हनुमानजी ने लंका में अपनी पूँछ से आग लगाई थी तब उनकी पूँछ पर भी बहूत जलन हो रही थी | रामराज्य में भगवन श्री राम से हनुमानजी विनती की जिससे अपनी जली हुई पूँछ का इलाज हो सके | तब श्री राम ने अपने बाण के प्रहार से इसी जगह पर एक पवित्र धारा बनाई जो हनुमान जी की पूँछ पर लगातार गिरकर पूँछ के दर्द को कम करती रही | यह जगह पर्वत माला पर है जहा पहुँचने में 20 /30 मिनट लगते है |

बाला हनुमान मंदिर जामनगर

श्री बाला हनुमान मंदिर जामनगर गुजरात में स्तिथ है | इस मंदिर का निर्माण प्रेमभिक्शुजी ने 1963-64 में किया था | यह मंदिर गिनीज बुक में रिकॉर्ड धारी है क्योकी इस मंदिर में पिछ्ले 48 साल से राम धुनी दिन रात चल रही है | यह निरंतर राम धुनी सिर्फ जामनगर में ही नहीं बल्की द्वारका , राजकोट , पोरबंदर , महुआ ,जुनागढ़ और मुज्जफर नगर बिहार में भी चल रही है |

हनुमान गढ़ी अयोध्या नैमिषारण्य

हनुमान गढ़ी नैमिषारण्य श्री हनुमान के मुख्य मंदिरो में भारत में विशेष है | श्री नैमिषारण्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 100 कि. मी. दूर सीतापुर जिले में अयोध्या के पास स्थित है | यहा स्तिथ बालाजी मुर्ती बलिष्ठ और लाल रंग में है |

इतिहास :

कहा जाता है नैमिषारण्य वो जगह थी जहा से हनुमान जी ने पाताल लोक से श्री राम और लश्मन को अहिरावन से बचाकर निकाल लाये थे | इस नैमिषारण्य अयोध्या जगह पर इन तीनो ने महान संतो के दर्शन किये और पुनः रावण से युद्ध करने लंका प्रस्थान का गये |

मुख्य मान्यता इस मंदिर की :

इस मंदिर में दक्षिण मुखी हनुमान जी हैं। जिस किसी के द्रानि राहु केतु मंगल ग्रह अरिष्ट होते हैं । यहा दर्शन मात्र और हनुमान जी को लाल छोला चड़ाने से ग्रह शांत हो जाते है और जीवन में सफलता और समृद्धि आती है | यह हनुमान जी का सिद्धि पीठ हैं।

हनुमान गढ़ी नैमिषारण्य का पता :

श्री हनुमानगढ़ी नैमिषारण्य सीतापुर उ० प्र० पिन-261402
फोन:05865-251244

Shri Hanuman Painting

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