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श्री खाटू श्याम जी श्याम बाबा, मंदिर, आरती, चालीसा, पूजा करने की विधि | Khatu Shyam ji Story

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श्री खाटू श्याम जी श्याम बाबा

श्री खाटू श्याम जिन्हें शीश का दानी के नाम से यह संसार पूजता है .खाटू श्याम महाभारत काल में पांडव महाबली भीम के पोत्र और घटोत्कच और माँ मोर्वी ( कामकटंकटा ) के पुत्र वीर बर्बरीक ने जब कुरुक्षेत्र के युद्ध में हारे का साथ देने का वादा किया अपनी माँ मोर्वी से , तब भगवन श्री कृष्णा ने वीर बर्बरीक से उनका शीश दान मांग लिया . वीर बर्बरीक ने ख़ुशी ख़ुशी अपना शीश भगवान श्री कृष्णा की दान में दे दिया , यदि भगवान कृष्ण यह बलिदान नही मांगते तो यह युद्ध कौरवों के द्वारा आसानी से जीता जाता |

भगवान श्री कृष्णा इस महान शीश बलिदान से खुश होकर वीर बर्बरीक को यह वरदान दिया की यह संसार कलियुग में तुम्हे मेरे नाम “श्याम ” से घर घर में पुजेगा और तुम सबकी मनोकामना पूर्ण करोगे . तुम अपने दरबार खाटू में हारे के सहारे बनकर भक्तो की जीत दिलवाओगे | आज खाटू वाला श्याम अपने भक्तो की सभी मनोकामनाए पूर्ण करता है . देश विदेश से भक्त बाबा श्याम के दर्शन पाने खाटू धाम  में आते है श्री श्याम बाबा के धवजा निशान चढाते है |

खाटू श्याम के मुख्य  नाम

  • श्री खाटू श्याम जी मुख्य नाम इस तरह है .
  • श्री शीश के दानी खाटू नरेश श्याम सरकार खाटू नाथ मोर्विनंदन लखदातार श्री खाटू वाले श्याम के नाम है .
  • यह खाटू श्याम जी हिंदी वेबसाइट खाटू श्याम के भक्तो की सहायता के लिए बनाई गयी है .
  • बोलिए श्याम प्यारे की जय
  • जय जय  मोर्विनंदन 
  • जय जय खाटू शाम मंदिर  जय जय श्री श्याम

खाटू श्याम परिवार 

  • माता : मोर्वी ( कामकटंकटा )
  • पिता : घटोत्कच
  • दादी : हिडिम्बा
  • दादा : पांडव भीम

आज श्याम बाबा के देश विदेश में हजारो की संख्या में मंदिर है . श्री कृष्णा वरदानी  बाबा की ज्योत  भक्त अपने घरो में हर ग्यारस पर लेते है श्री खाटू श्याम जी हिंदी वेबसाइट आप सभी श्याम भक्तो का अभिनन्दन करती है . और अपनी तरफ से आप सभी भक्तो को खाटू नरेश की हर संभव जानकारी संभव कराने में प्रयासरत है . हम दिल से यह मानते है श्याम सरकार की सेवा उनके आशीष के बिना नही मिल सकती और अपने आप को गर्वित महसूस करते है हम्हे इसी बहाने उनकी और उनके भक्तो की सेवा करने का मोका मिला .  जय हो श्याम खाटू नरेश की

खाटू श्याम जी कथा कहानी

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!! शीश के दानी श्री श्याम बाबा का संक्षिप्त जीवन परिचय !!

श्री खाटू श्याम जी श्याम बाबा अर्थात वीर बर्बरीक का द्वापर युग में परिचय श्री खाटू श्याम जी श्याम बाबा की हिंदी कथा कहानी इस प्रकार है. द्वापर के अंतिम चरण में हस्तिनापुर में कौरव एवम पांडव राज्य करते थे, पाण्डवों के वनवासकाल में भीम का विवाह हिडिम्बा के साथ हुआ… उसके एक पुत्र हुआ, जिसका नाम घटोत्कच रखा गया… पाण्डवों का राज्याभिषेक होने पर घटोत्कच का कामकटंकटा के साथ विवाह और उससे बर्बरीक का जन्म हुआ.. उसने भगवती जगदम्बा से अजेय होने का वरदान प्राप्त किया…

जब महाभारत युद्ध की रणभेरी बजी, तब वीर बर्बरीक युद्ध देखने की इच्छा से कुरु क्षेत्र की और प्रस्थान किया, मार्ग में विप्र रूप धारी श्री कृष्णा से साक्षात्कार हुआ.. विप्र के पूछने पर उसने अपने आप को योद्धा व दानी बताया.. परीक्षा स्वरुप उसने पेड़ के प्रत्येक पत्ते को एक ही बाण से बेंध दिया तथा श्री कृष्ण के पैर के नीचे वाले पत्ते को भी बेंधकर वह बाण वापस तरकस में चला गए… विप्र वेशधारी श्री कृष्ण के पूछने पर उसने कहा कि मैं हारने वाले पक्ष में लडूंगा..श्री कृष्ण ने कहा कि अगर तुम महादानी हो तो अपना शीश समर भूमि की बलि हेतु दान में दे दो… ततपश्चात् श्री कृष्ण के द्वारा अपना असली परिचय दिए जाने के बाद उसने महाभारत युद्ध देखने कि इच्छा प्रकट की… रात भर भजन पूजन कर प्रातः फाल्गुन शुक्ला द्वादशी को स्नान पूजा आदि करके, अपने हाथ से अपना शीशश्री कृष्ण को दान कर दिया… श्री कृष्ण ने उस शीश को युद्ध अवलोकन के लिए, एक ऊँचे स्थान पर स्थापित कर दिया…

युद्ध में विजय श्री प्राप्त होने पर पांडव विजय के श्रेय के सम्बन्ध में वाद-विवाद करने लगे… तब श्रीकृष्ण ने कहा की इसका निर्णय बर्बरीक का शीश कर सकता है… शीश ने बताया कि युद्ध में श्री खाटू श्याम मोर्विनंदन बर्बरीककृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था और द्रौपदी महाकाली के रूप में रक्त पान कर रही थी.. श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर शीश को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे श्याम नाम से पूजित होगे तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष कि प्राप्ति होगी… स्वप्न दर्शनोंपरांत बाबा श्याम, खाटू धाम में स्थित -श्याम कुण्ड से प्रकट होकर अपने कृष्ण विराट सालिग्राम श्री श्याम रूप में सम्वत १७७७ में निर्मित वर्तमान खाटू श्याम जी मंदिर में भक्तों कि मनोकामनाए पूर्ण कर रहे है

श्री मोर्विनंदन श्री खाटूश्याम

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जैसा की हम सभी जानते है, श्री बर्बरीक जी की माता कामकटंकटा, मूर दैत्य की पुत्री थी… पिता का नाम मूर होने से उनको “मोरवी” अर्थात “मूर की पुत्री” कहा जाता है… एवं स्कन्दपुराण मे जगह जगह पर श्री श्री बर्बरीक जी की माता कामकटंकटा को मोरवी नाम से भी संबोधित किया गया है… स्वयं भगवन श्री कृष्ण ने श्री बर्बरीक को “मोर्व्ये ” अर्थात “मोरवी के पुत्र” कह कर इस प्रकार संबोधित किया है… श्री कृष्ण उवाच-

क्यों पुकारा जाता है खाटू श्याम जी को मोर्विनंदन श्याम 

वत्स ! मोर्व्ये ! ब्रूहि त्वं, सर्वं प्रच्छ, यदिच्छ्सी !
यथा घटोत्क्चो मह्यं सु प्रियश्च यथा भवान !!

{ स्कन्दपुराण, कौ. ख. ६१.१४}

भावार्थ: “तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक से कहा- पुत्र मोर्व्ये ! बोलो जो बात पूछना चाहते हो, सब पूछो… मुझे जिस प्रकार घटोत्कच प्यारा है उस भाँति तुम भी प्यारे हो !!”

इस प्रकार से स्कन्दपुराण में बार बार श्री श्यामदेव की माता का नाम “मोरवी” उलेखित हुआ है… इसीलिए उनकी माताश्री के सम्मान में ही श्री श्याम देव को “मोरवीनंदन” भी कहा जाता है…

!! जय जय मोरवीनंदन,जय श्री श्याम !!
!! जय जय मोरवीनंदन,जय श्री श्याम !!
!! जय जय मोरवीनंदन,जय श्री श्याम !!

खाटू श्याम जी में त्यौहार

फाल्गुन मेला खाटू श्याम जी का मुख्य मेला है और यह मेला ५ दिन के लिए भरा जाता है . यह फाल्गुन माह (फरवरी/मार्च ) में तिथ के आधार पर भरता है . फाल्गुन माह की शुकल ग्यारस को मुख्य दिन होता है मेले का . फाल्गुन मेला अष्टमी से बारस तक ५ दिन के लिए भरता है . यह मेला होली त्यौहार से ५ दिन पहले भरा जाता है .लाखो भक्त दुनिया के कोने कोने से मेले में श्याम बाबा के दर्शन करने अपने परिवार और मित्रो के साथ आते है . बहूत सारे भक्त तो होली तक ही रूककर श्याम बाबा के साथ होली का त्यौहार मनाते है .

offical website – khatushyam.in

खाटू धाम में बहूत सारी धर्मसालाये भक्तो के रखने की व्यवस्ता करती है . देश भर से श्याम भजन गायक आते है और हर धर्म साला में संद्या समय श्याम बाबा की ज्योत जगा कर सत्संग कीर्तन किये जाते है . खाटू धाम और आस पास की जगह श्याम बाबा के जयकारो से गूंज उटती है . बहूत ही धार्मिक दर्श होता है इन दिनों खाटू धाम का इस मेले में निशान यात्रा का भी बहूत बड़ा महत्व है . निशान बाबा श्याम को समर्प्रित झंडा होता है , जिसे श्याम भक्त बाबा को भेट करने पेडल ही रिंग्स से या फिर अपने निवास से साथ लाते है . निशान प्रतिक है श्याम बाबा के इस जगत जीत का . श्याम बाबा तीन बाण धारी थे , और जगत विजेता ही थे . केसरिया निशान उनके शीश के बलिदान की याद में श्याम बाबा को चदाया जाता है .

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ज्यादातर भक्त खाटू धाम से 19 km दूर रिंग्स से श्री श्याम बाबा के लिए पेडल यात्रा करते है . रिंग्स में नहा कर निशान की पूजा करके वे अपने यात्रा शुरू करते है . रिंग्स से खाटू धाम यात्रा के बीच जगह जगह सेवा मंडल श्याम भक्तो के लिए छोटे चिकित्सालय , खाने पिने की व्यवस्ता , रहने की व्यवस्ता करते है . यह अलग ही दुनिया होती है जहा हर तरफ श्याम बाबा के जयकारे की गूंज , निशान ही निशान और श्याम भक्त दिखाई देते है .

बहूत सारे भक्त डी.जे पर डांस करते करते श्याम बाबा की खाटू धाम पहुचते है . इन पांच दिनों में 30 लख भक्त श्याम बाबा के दर्शन करने आते है . इतने भक्तो की सुविधा के लिए प्रशासन अच्छे से व्यवस्ता करता है . सुरक्षा व्यवस्ता बहूत अच्छी की जाती है .बोलिए खाटू वाले हम्हे बुलाले इक बार खाटू धाम , भरोशा तेरा है .

अन्य उत्सव :

  • खाटू श्याम जन्मोत्सव :
  • कृष्णा जन्मोत्सव
  • झूल झूलनी एकादस्मी
  • होली
  • वसंत पंचमी

श्री खाटू श्याम के सभी नाम

खाटू श्याम जी ( श्याम बाबा ) के प्रसिद्ध मुख्य  नाम और जयकारे 

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1) खाटू श्याम जी

वीर बर्बरीक ने जब भगवान श्री कृष्णा को अपना शीश दान में दिया तब इस बलिदान के लिए भगवान श्री कृष्णा ने वीर बर्बरीक के शीश को अमरत्व का वरदान दे कर उन्हें अपने नाम khatu shyam ji names title=“श्याम ” से कलीकल (कलियुग) में घर घर पूजित होने का वरदान दे दिया . कलिवुग में बर्बरीक जी का शीश खट्वा नगरी (खाटू धाम ) से धरा से अवतरित हुआ . अत: इन्हे खाटू श्याम जी के नाम से पूजा जाता है

2) मोर्विनंदन श्याम ::

महर्षि वेद व्यास जी जिन्होंने महाभारत की रचना की थी , उन्ही के द्वारा लिखी गयी स्कन्द्पुराण में बताया गया है की वीर बर्बरीक की माता मोर्वी (कामनकंता ) और पिताश्री महाबली भीम थे अत: माँ मोर्वी के लाल को मोर्विनंदन श्री श्याम से भी पुकारा जाता है .

3) शीश के दानी ::

शीश दान करने के बाद इन्हे शीश के दानी के नाम से भी जाना जाता है 

४) लखदातार :

Luck – भाग्य  दातार -देने वाला अत: भाग्य को चमकाने वाला खाटू श्याम हमारा | भरपूर देने वाला |  खाली झोली भरने  वाला भाग्य जाने वाला .

५) लीले का अश्वार :

बर्बरीक के नीले घोड़े जिसका नाम था लीला उनपे सवार होने के कारण इनके लीले का अश्वार भी कहा जाता है.

६) तीन बाण धारी :

वीर बर्बरीक जी के पास 3 ऐशे बाण थे जिस से वो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को जीत सकते थे . इसमे कोई शंका नही की उन जेसा धनुर्धर न हुआ था न ही कोई होगा . श्री कृष्णा ने इसी वजह से उनका शीश दान में लेकर उन्हें युद्ध से वंचित रख दिया था .

7 ) हारे का सहारा :

खाटू श्याम जी कलियुग देव को हारे के सहारे के नाम से भी जाना जाता है क्योकि जब भक्त हर दर पर अपने आप को खाली हाथ पाता है तब खाटू श्याम जी मंदिर में उसकी पुकार सुनी जाता है और भक्त यही गुनगुनाता है . मैं भी जग से हार के आया , थाम ले मेरा हाथ

८) खाटू नाथ की जय

९) कलियुग देव की जय

१०) शीश देव की जय

११) खाटू नरेश

 इनके अलावा कलियुग के अवतार की जय बोलना और कृष्ण के अवतार की जय बोलना सरासर गलत है |

श्याम बाबा के अनन्य भक्त

भगवान और भक्त का रिश्ता भी संसार का सबसे पवित्र रिश्ता है | इस रिश्ते में भक्त की वज्र के समान आस्था विश्वास है | भक्त अपना सबकुछ अपने भगवान के ऊपर छोड़ देता है | इस रिश्ते को निभाने पर उसे कभी दुःख का अहसास तक नही होता | वे अपने प्रभु की भक्ति में पागल तक कहला जाते है | पर जब सम्पूर्ण संसार के सामने जब यह भगवान और भक्त का रिश्ता निभता है तब बस अन्य लोग जयकार लगाते है |

आज इस कड़ी में हम आपको परम श्याम भक्तो की जानकारी देने जा रहे है |

बाबा श्याम के जागरण में आपने श्याम बाबा के साथ साथ उनके दो परम भक्तो की तस्वीरे भी देखी होगी जिनके नाम है श्यामलीन भक्त शिरोमणि आलू सिंह जी और श्याम बहादुर  जी | श्याम बाबा की कृपा से इन दोनों ने अन्य भक्तो के सामने श्याम लीलाए की और आज इनका नाम श्याम जगत में अमरता को प्राप्त है |

श्री आलू सिंह जी महाराज

Khatu Shyam ji Falgun Mela

श्याम भक्तो को साल भर से जिस मेले का , जिस दरबार का इंतज़ार रहता है वो फाल्गुन मास में आता है | बाबा लखदातार का लक्की अलबेला मस्ताना खाटू का फाल्गुन मेला | देश विदेश से लाखो भक्त इन 10 दिनों में खाटू अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाबा के दर्शन पाने आते है | पूरा खाटू धाम श्याम नगरी स्वर्ग से भी सुन्दर धार्मिक स्थल बन सबके दिलो में छाप छोड़ जाती है |

जगह जगह श्याम बाबा के कीर्तन , श्याम भक्तो कि आवभगत में भक्त बाबा को रिझाने के भरकश प्रयास करते है | रिंग्स से खाटू धाम तक केशरिया रंग के निशान उठाये लाखो भक्त निशान यात्रा करके पूण्य कमाते है |

पूजा करने की विधि | Khatu Shyamji Worship

यह एक अन्धविश्वास है की श्री खाटू श्याम जी का शीश या उनकी फोटो घर पर या ऑफिस में नही रखनी चाहिए . आप अन्य देवी देवताओ की तरह श्री श्याम बाबा की फोटो या शीश को अपने साथ कही भी रख सकते है . और ऐसा करने से श्याम बाबा नाराज नही बल्कि प्रसन्न ही होते है | यह ध्यान जरुर रखे की इनके मान सम्मान में कोई कमी नही हो , या किसी भी तरह पूजा में गलती नही हो |

अब जानिए की श्याम बाबा पूजन विधि किस तरह है
मैं आपसे यही कहूँगा की सच्चे तन मन धन से जो जेसे पूजा करे वही भगवन स्वीकरत कर लेते है . किसी भी देवी देवता की कोई विशेष विधि नही है पूजन की . वो तो सिर्फ प्रेम के भूखे है आप अपने आप को पूर्ण समर्प्रित करके जिस विधि से उनकी पूजा आराधना करेंगे वो उसे स्वीकरत कर लेंगे .

फिर भी कुछ स्टेप्स इस प्रकार है
1) पूजन करने के लिए आपके पास श्री खाटू श्याम जी फोटो या फिर शीश मूरत होनी चाहिए यदि आपके पास नही है तो आप इसे किसी मूर्ति की दुकान से ले आये
2) अब आप गंधा (खुशबु ) , दीपा (दीपक ), धूपा (धुप), नेविदयम (भोग) , पुष्पअर्चना (पुष्प माला) को अपने पास रखे .
3) श्याम बाबा की फोटो या शीश मूरत को पंचामृत या फिर दूध दही और फिर स्व्च्छ जल से स्नान कराके फिर रेशम के मुलायम कपडे से साफ़ करे और पुष्पमाला से श्रृंगार करे
4) अब पूजन शुरू करने से पूर्व श्याम बाबा की ज्योत ले एक घी का दीपक जलाये और अगरबती या धुपबती जलाये
5) श्री श्याम बाबा को दूध बहूत प्यारा है अत उन्हें कच्चा दूध पान करवाए
6) श्री श्याम बाबा के अब भोग लगाये भोग में आप चूरमा दाल बाटी या मावे के पेद्दे काम में ले सकते है
7) अब श्याम बाबा की आरती करे और आशीष पाए.
8) श्री श्याम बाबा के यह ११ जयकारे लगाये : जय श्री श्याम ,जय खाटू वाले श्याम , जय हो शीश के दानी , जय हो कलियुग देव की , जय खाटू नरेश , जय हो खाटू वाले नाथ की , जय मोर्वये , जय मोर्विनंदन श्याम , लीले के अश्वार की जय , लखदातार की जय , हारे के सहारे की जय .
9) अब गौ माँ के भोजन का भाग निकाल कर और गौ माँ को खिलाने के बाद यह आप भोजन कर सकते है .

श्याम कीर्तन से जुड़े कुछ  नियम

1) कीर्तन में शामिल होने से पूर्व अपने मन और तन को स्व्च्छ रखे अर्थात तन और मन सिर्फ श्याम में समर्प्रित हो  

2) बाबा श्याम के जयकारे में कंजूसी न आने दे | 

3) भजन कीर्तन के दोहराण अनावशक बाते न करे | 

4) नशीले पर्दाथो का सेवन न करे | 

5) भजनों के समय श्याम भजन गायकों को प्रोत्साहित करते रहे |

6) सत्संग में सोये नहीं और न ही बार बार सत्संग से उठकर  सत्संग में शामिल लोगो को तकलीफ पहुचाये |

7) हो सके तो सत्संग के अंतिम चरण तक रुके और प्रसादी लेकर ही सत्संग से जाये |

श्री खाटू श्याम जी आरती

आरती श्री खाटू श्याम जी

श्याम बाबा की आरती हिन्दी में यहा दी जा रही है जिसका खाटू श्याम जी की पूजा में बहुत अधिक महत्व है | श्याम भक्तो को यह आरती जुबानी याद रहती है और श्याम पूजा में इसे सबसे जाग्रत रूप में देखा जाता है |

श्री खाटू श्याम चालीसा

श्री श्याम अष्टक | Shyam Astak

॥ श्री श्याम अष्टक ॥

(स्कन्द महापुराण पर आधारित)
दोहा :-

गुरु गणपति शारद शरण नौमि श्याम दिन रैन ।
अष्टक सत चित्त सुमिरण प्रदत सकल सुख चैन ॥
खाटू दर कलिमल हरण विपत विमुच मृदु वैन ।
विप्लव वन्दक प्रभु चरण सदय हरत हरि दैन ॥

चौपाई :-

जय यक्षप कुल कोटि चौरासी, सूर्यवर्च अधिपति अविनासी
जयति प्रताप प्रखर बलबंता, किस बिध विरद बखानु अनंता

जय प्रवृत्त हरण भूमि भारा, अल्प श्राप नैर्ॠत तनु धारा

जयति कामकटंकटा जाया, मोर्विकुक्षि राजहंस कहाया

जय घटोत्कच मुद वर्धमाना, बर्बरीक प्रसिद्ध अविधाना
जयति कृष्ण आज्ञा परिपालक, गुप्त क्षेत्र देवी आराधक

जय नव चण्डी शक्ति स्वरूपा, अर्जित अतुलित वीर्य अनूपा
जयति विप्र विजय सिद्धि दायक, चण्डिल नाम वीर वर पायक

जय वैष्णव वैतरणी तारक, नव कोटि पलाशी संहारक
जयति द्रुहद्रुह दैत्या मारक, पिङग्ल रेपलेन्द्र वध कारक

जय बली भीम मान विदारक, नाग कन्या वरण परिहारक
जयति भैमिसुत निधि सुखचैना, अति प्रवृत्त वध कौरव सेना

जय यदुपति वर लब्ध प्रतापा, दात्र सकल वर हर भव तापा
जयति श्याम कलि वन्दित देवा, बड भागी जन पावत सेवा

जय श्री श्याम भक्त पत राखत, मोहन मनोज विप्लव याचत
जयति भक्त वत्सल भगवाना, रक्षा करो प्रभु कृपा निधाना

दोहा :-

नित्य श्याम अष्टक पढ़े उर आनन्द हमेश ।
सकल सुख आरोग्य बढ़े मोर्वेय हरत क्लेश ॥
निज भक्त पर दया द्रवे दीन दु:खी हितेश ।
अष्ट सिद्धि नव निधि प्रदे जयति खाटू नरेश ॥

श्री श्याम बाबा स्त्रोत | Shyam Stroat

श्री वेद व्यासजी द्वारा विरचित इस स्त्रोत्र को आस्था और विश्वास के साथ पाठ से जप-तप के नियमों को पालन करते हुए वर्णित विधि से करने पर श्री बर्बरीकजी(श्री खाटू श्यामजी) की कृपा मिलती है :

जय जय चतुरशितिकोटिपरिवार सुर्यवर्चाभिधान यक्षराज
जय भूभारहरणप्रवृत लघुशापप्राप्त नैऋतयोनिसम्भव
जय कामकटंकटाकुक्षि राजहंस
जय घटोत्कचानन्दवर्धन बर्बरीकाभिधान

जय कृष्णोपदिष्ट श्रीगुप्तक्षेत्रदेवीसमाराधन प्राप्तातुलवीर्यं
जय विजयसिद्धिदायक
जय पिंगल रेपलेंद्र दुहद्रुहा नवकोटीश्वर पलाशिदावानल
जय भुपालान्तराले नागकन्या परिहारक
जय श्रीभीममानमर्दन
जय सकलकौरवसेनावधमुहूर्तप्रवृत
जय श्रीकृष्ण वरलब्धसर्ववरप्रदानसामर्थ्य
Baba Shyam जय जय कलिकालवन्दित नमो नमस्ते पाहि पाहिती
!! स्कन्दपुराण, कौ. ख. ६६.११५ !!

!! उपरोक्त स्त्रोत्र का हिंदी भावार्थ !!

“हे! चौरासी कोटि परिवार वाले सूर्यवर्चस नाम के धनाध्यक्ष भगवन्! आपकी जय हो, जय हो…”
“हे! पृथ्वी के भार को हटाने में उत्साही, तथा थोड़े से शाप पाने के कारण राक्षस नाम की देवयोनि में जन्म लेने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो…”
“हे! कामकटंककटा (मोरवी) माता की कोख के राजहंस भगवन्! आपकी जय हो, जय हो…”
“हे! घटोत्कच पिता के आनंद बढ़ाने वाले बर्बरीक जी के नाम से सुप्रसिद्ध देव! आपकी जय हो, जय हो…”
“हे! श्री कृष्णजी के उपदेश से श्री गुप्तक्षेत्र में देवियों की आराधना से अतुलित बल पाने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो…”
“हे! विजय विप्र को सिद्धि दिलाने वाले वीर! आपकी जय हो, जय हो…”
“हे! पिंगला- रेपलेंद्र- दुहद्रुहा तथा नौ कोटि मांसभक्षी पलासी राक्षसों के जंगलरूपी समूह को अग्नि की भांति भस्म करने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो…”
“हे! पृथ्वी और पाताल के बीच रास्ते में नाग कन्याओं का वरण प्रस्ताव ठुकराने वाले माहात्मन्! आपकी जय हो, जय हो…”
“हे! श्री भीमसेन के मान को मर्दन करने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो…”
“हे! कौरवों की सेना को दो घड़ी ( ४८ मिनट) में नाश कर देने वाले उत्साही महावीर! आपकी जय हो, जय हो…”
“हे! श्री कृष्ण भगवान के वरदान के द्वारा सब कामनाओं के पूर्ण करने का सामर्थ्य पाने वाले वीरवर! आपकी जय हो, जय हो…”
“हे! कलिकाल में सर्वत्र पूजित देव! आपको बारम्बार नमस्कार हैं, नमस्कार है, नमस्कार है…”
“हमारी रक्षा कीजिये, रक्षा कीजिये, रक्षा कीजिये”
अनेन य: सुहृदयं श्रावणेsभ्य्चर्य दर्शके! वैशाखे च त्रयोदशयां कृष्णपक्षे द्विजोत्मा: शतदीपै पुरिकाभि: संस्तवेत्तस्य तुष्यति

!! स्कन्दपुराण, कौ. ख. ६६.११६ !!

“जो भक्त कृष्णपक्ष की श्रवणनक्षत्र युक्त अमावस्या (जो प्रायः फाल्गुन मास में आती है) के तेरहवे [१३वे] दिन अर्थात “फाल्गुन सुदी द्वादशी” के दिन तथा विशाखानक्षत्र युक्त अमावस्या (जो प्रायः कार्तिक मास में आती है) के तेरहवे [१३वे] दिन अर्थात “कार्तिक सुदी द्वादशी” के दिन अनेक तपे हुए अँगारों से सिकी हुई पुरिकाओ के चूर्ण (घृत, शक्करयुक्त चूरमा) से श्री श्याम जी की पूजा कर इस स्त्रोत्र से स्तुति करते है, उस पर श्री श्याम जी अति प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करते है… “

जय श्री मोर्वीनंदन जय श्री खाटू श्यामजी

संकलनकर्ता :
महाबीर सराफ

श्री श्याम समर्पण | Shyam Samarpan

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जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,मोर्वीनंदन श्याम बिहारी……

(तर्ज:त्वमेव माता च पिता त्वमेव ..)

जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,मोर्वीनंदन श्याम बिहारी
कलयुग के हो भव-भयहारी ,भगतों के हो तुम हितकारी
खाटूवाले श्याम बिहारी,जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी!!

आयें हैं दर पे, हम तो तुम्हारे
दरशन के प्यासे, नयन हमारे
दे दरशन प्यास, बढ़ा दो हमारी
खाटूवाले श्याम बिहारी………..

जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,मोर्वीनंदन श्याम बिहारी
कलयुग के हो भव-भयहारी ,भगतों के हो तुम हितकारी
खाटूवाले श्याम बिहारी,जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी !!

आशा है मन में,विश्वास तुझ पर
करोगे महर श्याम,आज मुझ पर
आयेगी कब बोलो, बारी हमारी
खाटूवाले श्याम बिहारी………

जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,मोर्वीनंदन श्याम बिहारी
कलयुग के हो भव-भयहारी ,भगतों के हो तुम हितकारी
खाटूवाले श्याम बिहारी,जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी !!

नग्मे सुनायें,या गीत जो गायें
झूमें……नाचें,तुझको रिझायें
तेरी रज़ा में, रज़ा है हमारी..
खाटूवाले श्याम बिहारी……

जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,मोर्वीनंदन श्याम बिहारी
कलयुग के हो भव-भयहारी ,भगतों के हो तुम हितकारी
खाटूवाले श्याम बिहारी,जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी !!

देगा तूं गम या,खुशियाँ जो मुझको
सहेंगें कहेंगें, ना कुछ भी तुमको…
टीकम तो दास, तेरा दरबारी…..
खाटूवाले श्याम बिहारी………..

जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी,मोर्वीनंदन श्याम बिहारी
कलयुग के हो भव-भयहारी ,भगतों को हो तुम हितकारी
खाटूवाले श्याम बिहारी,जय हो तुम्हारी,जय हो तुम्हारी !!

!!जय मोर्वीनंदन जय श्री श्याम !!
!!जय मोर्वीनंदन जय श्री श्याम !!
!!जय मोर्वीनंदन जय श्री श्याम !!
!!जय मोर्वीनंदन जय श्री श्याम !!

श्री खाटू श्याम जी महिमा | Shyam Mahima

SakshiEpaper.in

(स्कन्द महापुराण पर आधारित)

श्री कृष्ण ने बर्बरीक को, देकर के बरदान
बना दिया कलयुग का देव,देवी सा देव महान
बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय-जय जय श्री श्याम

बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय-जय जय श्री श्याम

पूर्व जन्म में बर्बरीक थे,”सूर्यवर्चा” यक्षों के राजा.
आये हरि भू-भार हरण,धर्म युद्ध का बजाके बाजा
मुक्त किया ब्रह्म श्राप से,लिया शीश वलिदान………..
बना दिया कलयुग का देव,देवी सा देव महान …

बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय-जय जय श्री श्याम
बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय-जय जय श्री श्याम

प्रकट हुई देवी चंडिका ,कथा करी बयान ……….
कर अभिषेक अमृत सिंचन ,दिया शीश को मान
देख शीश धर्म युद्ध का,भंग किया अभिमान……..
बना दिया कलयुग का देव,देवी सा देव महान ..
बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय-जय जय श्री श्याम
बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय-जय जय श्री श्याम

विजय धवजा लहराई,आये पुष्प विमान….
बजी दुंदुभी देवों की,जय-जय कर गुण-गान
कर नमन सभी शीश को,हो गए अंतरध्यान
बना दिया कलयुग का देव,देवी सा देव महान …
बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय- जय जय श्री श्याम
बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय- जय जय श्री श्याम
धन्य हुई खाटू नगरी,धन्य ढूंढा का देश……
प्रकट शीश बैठे निज मंदिर,सूना रहे आदेश
हारे को देते सहारा,पूजे सकल जहान………
बना दिया कलयुग का देव,देवी सा देव महान …

बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय-जय जय श्री श्याम
बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय-जय जय श्री श्याम
पांडव कुल का लाल लाडला,भीम पौत्र बलकारी
है घटोत्कच-मोर्वीनंदन,दानी लखदातारी………
टीकम की साँसों की माला,करे श्याम गुण-गान
बना दिया कलयुग का देव,देवी सा देव महान …

श्री कृष्ण ने बर्बरीक को, देकर के बरदान ………..
बना दिया कलयुग का देव,देवी सा देव महान
बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय-जय जय श्री श्याम
बोलो जय-जय जय श्री कृष्ण,बोलो जय-जय जय श्री श्याम

!!जय श्री मोर्वीनंदन जय श्री खाटू श्यामजी!!

श्री खाटू श्याम चालीसा

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