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15+ Best Poem On Mother In Hindi | ” माँ पर कविता “

15+ Best Poem On Mother In Hindi | ” माँ पर कविता “

You are highly welcome on our website to read about Poem On Mother In Hindi / माँ पर कविता in Hindi on our informational website Famous Hindi Poems.

Famous Hindi Poems सूचना वेबसाइट पर हिंदी में Poems On Mother In Hindi में पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर आपका बहुत स्वागत है। नमस्कार दोस्तों, आज की पोस्ट में, आप Poem On Mother In Hindi / माँ पर कविता पढ़ेंगे ।

दोस्तों माँ के प्रेम को कुछ शब्दों में स्पष्ट करना बहुत मुश्किल है। इस संसार में आप अपनी माँ से अधिक किसी से प्रेम नहीं कर सकते। दुनिया में माँ का स्थान ईश्वर से भी ऊँचा माना जाता है। पृथ्वी पर स्वर्ग को माता-पिता के चरणों में माना जाता है। माँ का दिल प्यार, क्षमा, दया और आपके लिए देखभाल से भरा है।

उसकी प्रार्थना इस दुनिया की सबसे मजबूत चीज है जो हमेशा आपके जीवन में मदद और सुधार करने के लिए आपका अनुसरण करती है। वह आपको हर उस बाधा से बचाती है जो आपके रास्ते में खड़ी है। वह प्रेम, निडरता और करुणा की शिक्षिका हैं।

वह हमेशा आपको एक अच्छा पुरुष / महिला होने के लिए प्रोत्साहित करती है। दोस्तों, अगर हम प्यार की चर्चा करें, तो जीवन में हमें अपनी माँ से सबसे ज्यादा प्यार मिलता है। हमारी सलामती के लिए माँ अपनी जान दांव पर लगा देती है। इस संसार में कोई भी हमें मां से अधिक प्यार नहीं कर सकता। माँ का प्यार निस्वार्थ होता है।

इसलिए आज हम आपके लिए अपनी कविता में से कुछ बेहतरीन कविताएँ लेकर आए हैं Poem On Mother In Hindi, जो आपको बहुत पसंद आएंगी, आप इन कविताओं को अपनी माँ को सुना सकते हैं। तो दोस्तों, इन सभी कविताओं को ध्यान से पढ़ें।

Poems On Mother In Hindi | माँ पर कविता

1. माँ तुम गंगाजल होती हो – Poem On Mother In Hindi

मेरी ही यादों में खोई
अक्सर तुम पागल होती हो
माँ तुम गंगा-जल होती हो!

जीवन भर दुःख के पहाड़ पर
तुम पीती आँसू के सागर
फिर भी महकाती फूलों-सा
मन का सूना संवत्सर

जब-जब हम लय गति से भटकें
तब-तब तुम मादल होती हो।

व्रत, उत्सव, मेले की गणना
कभी न तुम भूला करती हो
सम्बन्धों की डोर पकड कर
आजीवन झूला करती हो

तुम कार्तिक की धुली चाँदनी से
ज्यादा निर्मल होती हो।

पल-पल जगती-सी आँखों में
मेरी ख़ातिर स्वप्न सजाती
अपनी उमर हमें देने को
मंदिर में घंटियाँ बजाती

जब-जब ये आँखें धुंधलाती
तब-तब तुम काजल होती हो।

हम तो नहीं भगीरथ जैसे
कैसे सिर से कर्ज उतारें
तुम तो ख़ुद ही गंगाजल हो
तुमको हम किस जल से तारें

तुझ पर फूल चढ़ाएँ कैसे
तुम तो स्वयं कमल होती हो।

-जयकृष्ण राय तुषार

2. माँ को बेटी की पुकार – Poems On Mother In Hindi

पहली धड़कन भी मेरी धडकी थी तेरे भीतर ही,
जमी को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहां

आंखें खुली जब पहली दफा तेरा चेहरा ही दिखा,
जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही सीखा

खामोशी मेरी जुबान को सुर भी तूने ही दिया,
स्वेत पड़ी मेरी अभिलाषाओं को रंगों से तुमने भर दिया

अपना निवाला छोड़कर मेरी खातिर तुमने भंडार भरे,
मैं भले नाकामयाब रही फिर भी मेरे होने का तुमने अहंकार भरा

वह रात छिपकर जब तू अकेले में रोया करती थी,
दर्द होता था मुझे भी, सिसकियां मैंने भी सुनी थी

ना समझ थी मैं इतनी खुद का भी मुझे इतना ध्यान नहीं था,
तू ही बस वो एक थी, जिसको मेरी भूख प्यार का पता था

पहले जब मैं बेतहाशा धूल मैं खेला करती थी,
तेरी चूड़ियों तेरे पायल की आवाज से डर लगता था

लगता था तू आएगी बहुत डाटेंगी और कान पकड़कर मुझे ले जाएगी,
माँ आज भी मुझे किसी दिन धूल धूल सा लगता है

चूड़ियों के बीच तेरी गुस्से भरी आवाज सुनने का मन करता है,
मन करता है तू आ जाए बहुत डांटे और कान पकड़कर मुझे ले जाए

जाना चाहती हूं उस बचपन में फिर से जहां तेरी गोद में सोया करती थी,
जब काम में हो कोई मेरे मन का तुम बात-बात पर रोया करती थी

जब तेरे बिना लोरियों कहानियों यह पलके सोया नहीं करती थी,
माथे पर बिना तेरे स्पर्श के ये आंखें जगा नहीं करती थी

अब और नहीं घिसने देना चाहती तेरे ही मुलायम हाथों को,
चाहती हूं पूरा करना तेरे सपनों में देखी हर बातों को

खुश होगी माँ एक दिन तू भी,
जब लोग मुझे तेरी बेटी कहेंगे

3. बेटा का प्यार – माँ पर कविता

घुटनो से रेंगते रेंगते
कब पैरो पर खड़ा हुआ,
तेरी ममता की छाव में
ना जाने कब बड़ा हुआ।

काला टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा हैं ,
एक मैं ही मैं हूँ हर जगह
प्यार ये तेरा कैसा हैं।

सीदा-सादा , भोला-भाला
मैं ही सबसे अच्छा हूँ,
कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ
मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ।

कैसा था नन्हा बचपन वो
माँ की गोद सुहाती थी ,
देख देख कर बच्चों को वो
फूली नहीं समाती थी।

ज़रा सी ठोकर लग जाती तो
माँ दौड़ी हुई आती थी ,
ज़ख्मों पर जब दवा लगाती
आंसू अपने छुपाती थी।

जब भी कोई ज़िद करते तो
प्यार से वो समझाती थी,
जब जब बच्चे रूठे उससे
माँ उन्हें मनाती थी।

खेल खेलते जब भी कोई
वो भी बच्चा बन जाती थी,
सवाल अगर कोई न आता
टीचर बन के पढ़ाती थी।

सबसे आगे रहें हमेशा
आस सदा ही लगाती थी ,
तारीफ़ अगर कोई भी करता
गर्व से वो इतराती थी।

होते अगर ज़रा उदास हम
दोस्त तुरन्त बन जाती थी ,
हँसते रोते बीता बचपन
माँ ही तो बस साथी थी।

माँ के मन को समझ न पाये
हम बच्चों की नादानी थी ,
जीती थी बच्चों की खातिर
माँ की यही कहानी थी।

4. माँ की भावना – Poem On Mother In Hindi

मैंने माँ को है जाना, जब से दुनिया है देखी,
प्यार माँ का पहचाना, जब से उंगली है थामी।

त्याग की भावना जो है माँ के भीतर,
प्यार उससे भी गहरा जितना गहरा समंदर।

अटल विश्वास माँ का, माँ की ममता डोरी,
माँ के आंचल की छांव, माँ की मुस्कान प्यारी।

माँ ही है इस जहां में जो सबसे न्यारी,
सीचती है जो हमारे जीवन की क्यारी।

माँ की आंखों में देखें सपने हजार हमारे वास्ते,
मंजिलें बनाई ने अपनी न माँ ने चूने अपने रास्ते।

डगमगाए कदम जो तो है थाम लेती,
गर हो जाऊं उदास तो माँ प्यार देती।

मेरे लिए वह करती अपनी खुशियां कुर्बान,
गम के सैलाब में भी बिखेरती है मुस्कान।

वो सिमटी थी घर तक रखती थी सब का मान,
हर कमी को पूरा करने में जिसने लगा रखी है जान।

वजूद माँ का और माँ की पहचान,
रखना माँ के लिए सदा ह्रदय में सम्मान।

5. माँ और भगवान – Poems On Mother In Hindi

मैं अपने छोटे मुख कैसे करूँ तेरा गुणगान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

माता कौशल्या के घर में जन्म राम ने पाया
ठुमक-ठुमक आँगन में चलकर सबका हृदय जुड़ाया
पुत्र प्रेम में थे निमग्न कौशल्या माँ के प्राण
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

दे मातृत्व देवकी को यसुदा की गोद सुहाई
ले लकुटी वन-वन भटके गोचारण कियो कन्हाई
सारे ब्रजमंडल में गूँजी थी वंशी की तान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

तेरी समता में तू ही है मिले न उपमा कोई
तू न कभी निज सुत से रूठी मृदुता अमित समोई
लाड़-प्यार से सदा सिखाया तूने सच्चा ज्ञान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

कभी न विचलित हुई रही सेवा में भूखी प्यासी
समझ पुत्र को रुग्ण मनौती मानी रही उपासी
प्रेमामृत नित पिला पिलाकर किया सतत कल्याण
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

‘विकल’ न होने दिया पुत्र को कभी न हिम्मत हारी
सदय अदालत है सुत हित में सुख-दुख में महतारी
काँटों पर चलकर भी तूने दिया अभय का दान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

जगदीश प्रसाद सारस्वत ‘विकल’

6. तू धरती पर ख़ुदा है माँ – माँ पर कविता

तू धरती पर ख़ुदा है माँ,
पंछी को छाया देती पेड़ों की डाली है तू माँ

सूरज से रोशन होते चेहरे की लाली है तू,
पौधों को जीवन देती है मिट्टी की क्यारी है तू

सबसे अलग सबसे जुदा,
माँ सबसे न्यारी है तू

तू रोशनी का खुदा है माँ,
बंजर धरा पर बारिश की बौछार है तू माँ

जीवन के सूने उपवन में कलियों की बहार है तू,
ईश्वर का सबसे प्यारा और सुंदर अवतार है तू माँ

तू फरिश्तों की दुआ है माँ,
तू धरती पर ख़ुदा है माँ

7. प्यारी माँ – Poem On Mother In Hindi

माँ का रिस्ता है सबसे प्यारा
जब जूठे है सारे बंधन जग में

नहीं तुमसा कोई इस जग में
इसलिए तुम ही एक मेरी माँ हो

भगवान केवल रचना करे
किन्तु मां तू तो पालनहार हो

माँ की तुलना करने
इस जग में सब रूखे रूखे

मेरी माँ की करुणा के आगे
सागर भी लगे छोटा,

भूखी रहले मेरे कारण
वो ही एक ममता की मूर्त हो

माँ तू ही मेरी ममता की किरण हो।

8. तुमको शत शत वंदन – Poems On Mother In Hindi

प्रेममयी तुम न्यारी-सी तुम
सुखद क्षणों की एक फुहार तुम
ठंड लगे तब गरम धूप तुम
तपती आग में नरम छाँव तुम

डर लगे तब आश्वासक तुम
जब हूँ अकेला मित्र खास तुम

हरेक जीत में उत्सव हो तुम
हर पीड़ा में सांत्वन हो तुम

मेरे तन में, मेरे मन में
सदा बसी तुम, सदा साथ तुम

यदि तुम्हें देखना है भगवान
आ जाओ मेरे घर में तुम

मेरी माँ है मेरा भगवान
मेरी माँ है मेरी जीवन

तुझको पाकर धन्य हो गया
माँ हैं तुझको शत शत वंदन

जयश्री अंबासकर

9. माँ : एक याद – Maa Ki Kavita

माँ!
याद तो आता नहीं
तुम्हारा
गोदी में वो मुझे झुलाना
दूध का अमृतरस चखाना
झुनझुने से मेरा दिल बहलाना
लोरी का वो गुनगुनाना
माथे को प्यार से चूमना
गुदगुदी से हँस हँस हँसाना
उँगली पकड़ चलना सिखाना

पर
याद है, माँ मुझे
हाथ में उँगली थामें लिखवाना
खून पसीने से मेरे जीवन को सींचना
मुश्किलों में हौसले का बँधाना
प्यार में आँसुओं का छलकना
गम में रोऊँ तो सहलाना
आने चाहे तुफ़ानों को रोक लेना
अंधेरे में रोशनी का दिखलाना
पास ना रहूँ, तो याद में रोना

और फिर वो पल
जब-
माँ बेटी का रिश्ता बना दोस्ताना
माँ के इस प्यार की बेल का
चढ़ते ही जाना
इंद्रधनुषी रंग में जीवन को रंग देना
तुम्हारी हँसी में दुनिया पा जाना

जीवन की है यह ज्योति
जलती रहे निरंतर
आशीश रहे सदा माँ का
असीम है माँ का प्यार!

संध्या

10. हज़ारों दुखड़े सहती – माँ पर कविता

हज़ारों दुखड़े सहती है माँ
फिर भी कुछ ना कहती है माँ

हमारा बेटा फले औ’ फूले
यही तो मंतर पढ़ती है माँ

हमारे कपड़े कलम औ’ कॉपी
बड़े जतन से रखती है माँ

बना रहे घर बँटे न आँगन
इसी से सबकी सहती है माँ

रहे सलामत चिराग घर का
यही दुआ बस करती है माँ

बढ़े उदासी मन में जब जब
बहुत याद में रहती है माँ

नज़र का कांटा कहते हैं सब
जिगर का टुकड़ा कहती है माँ

मनोज मेरे हृदय में हरदम
ईश्वर जैसी रहती है माँ

मनोज ‘भावुक’

11. जमीन पर जन्नत ( माँ ) – Poem On Mother In Hindi

जमीन पर जन्नत मिलती है कहाँ
दोस्तों ध्यान से देखा करो अपनी माँ

जोड़ लेना चाहे लाखों करोड़ो की दौलत
पर जोड़ ना पाओगे कभी माँ सी सुविधा

आते हैं हर रोज फरिश्ते उस दरवाजे पर
रहती है खुशी से प्यारी माएं जहाँ जहाँ

छिन लाती है अपनी औलाद की खातिर खुशियाँ
कभी खाली नही जाती माँ के मुहं से निकली दुआ

वो लोग कभी हासिल नही कर सकते कामयाबी
जो बात बात पर माँ की ममता में ढूँढते है कमियां

माँ की तस्वीर ही बहुत,बड़े से बड़ा मन्दिर सजाने को
माँ से सुंदर दुनिया में नही होती कोई भी प्रतिमा

माँ का साथ यूँ चलता है ताउम्र आदमी संग
जैसे कदमों तले झुका रहता हो सदा आसमां

माँ दिखती तो है जिस्म के बाहर सदा
पर माँ है रूह में मौजुद बेपनाह होंसला

कभी गलती से भी बुरा ना सोचना माँ के बारे में
ध्यान रहे माँ ने ही रचा हर जीवन का घोंसला

मर कर भी बसी रहती है माँ धरती पर ही अ नीरज
कभी नही होता औलाद की खातिर उसके प्रेम का खात्मा

12. चिंतन दर्शन जीवन सर्जन – Poems On Mother In Hindi

चिंतन दर्शन जीवन सर्जन
रूह नज़र पर छाई अम्मा,
सारे घर का शोर शराबा
सूनापन तनहाई अम्मा।

उसने खुद़ को खोकर मुझमें
एक नया आकार लिया है,
धरती अंबर आग हवा जल
जैसी ही सच्चाई अम्मा।

सारे रिश्ते- जेठ दुपहरी
गर्म हवा आतिश अंगारे,
झरना दरिया झील समंदर
भीनी-सी पुरवाई अम्मा।

घर में झीने रिश्ते मैंने
लाखों बार उधड़ते देखे,
चुपके चुपके कर देती थी
जाने कब तुरपाई अम्मा।

बाबू जी गुज़रे, आपस में
सब चीज़ें तक़सीम हुई तब,
मैं घर में सबसे छोटा था
मेरे हिस्से आई अम्मा।

आलोक श्रीवास्तव

13. बड़ी ही जतन से पाला है माँ ने – माँ पर कविता

बड़ी ही जतन से पाला है माँ ने
हर एक मुश्किल को टाला है माँ ने।

उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
जब भी गिरे तो संभाला है माँ ने।

चारों तरफ से हमको थे घेरे,
जालिम बड़े थे मन के अंधेरे।

बैठे हुए थे सब मुंह फेरे,
एक माँ ही थी दीपक मेरे जीवन में।

अंधकार में डूबे हुए थे हम,
किया ऐसे में उजाला है माँ ने।

मिलेगा ना दुनिया में माँ सा कोई,
मेरी आंखें बड़ी तो वो साथ रोई।

बिना उसकी लोरी के न आती थी निंदिया,
जादू सा कर डाला है माँ ने।

बड़ी ही जतन से पाला है माँ ने
हर एक मुश्किल को टाला है माँ ने।

14. वो है मेरी माँ – Maa Ki Kavita

मेरे सर्वस्व की पहचान
अपने आँचल की दे छाँव
ममता की वो लोरी गाती
मेरे सपनों को सहलाती
गाती रहती, मुस्कराती जो
वो है मेरी माँ।

प्यार समेटे सीने में जो
सागर सारा अश्कों में जो
हर आहट पर मुड़ आती जो
वो है मेरी माँ।

दुख मेरे को समेट जाती
सुख की खुशबू बिखेर जाती
ममता की रस बरसाती जो
वो है मेरी माँ।

देवी नांगरानी

15. हर एक साँस की कहानी है तू – Poem On Mother

हर एक साँस की कहानी है तू
परी कोई प्यारी आसमानी है तू,
जीती मरती है तू औलाद की खातिर
सिर्फ ममता की भूखी दीवानी है तू।

तेरी गोदी से बढकर नही कोई भी चमन
हमेशा फरिश्तों से घिरा रहता था तन,
गुजरा है तेरे संग हर लम्हा जन्नत में
ताउम्र महसूस होती रहेगी तेरी चाहतों की तपन,
इश्क करना फितरत है तेरी
हर देवता की जानी पहचानी है तू।

तू अदभुत साँस बनकर जिस्म को महकाती
हसीन जन्नत खुद तेरे करीब आ जाती
अजीब कशिश है तेरी चाहतों में माँ,
तू रोते बालक को पल में हंसाती
कोई नही तुझसे बढकर खुबसुरत जग में
हजारों परियों की रानी है तू।

दुआ है तेरी कोख से हो हर बार जन्म
भूलकर भी कभी ना हो तुझे कोई गम
तुझ जैसा कोई और चाह नही सकता,
तू ही सच्ची दिलबर तू ही सच्ची हमदम
हर करिश्मे से है तू बड़ी
खुदा की जमीन पर मेहरबानी है तू।

नीरज रतन बंसल ‘पत्थर’

Poem On Mother In Hindi अंतिम शब्द।

तो, आज के लिए बस इतना ही। उपरोक्त सभी (Poems On Mother In Hindi) / माँ पर कविता हिंदी में पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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