छत्तीसगढ़ के उतरी भाग में स्थित जशपुर जिले के बगीचा तहसील से लगभग 29 किलोमीटर की दुरी पर एक गुफा स्थित है जिसे कैलाश गुफा के नाम से जाना जाता है| बगीचा विकाश खंड के के ग़ायबुड़ा नामक ग्राम पंचायत से ३ किलोमीटर की दुरी पर पहाड़ी कैलाश गुफा स्थित है यंहा घन घोर जंगल है इस जंगल में बहुत बन्दर है लेकिन ये इंसान को कोई नुक्सान नही पहुचाते है , कैलाश गुफा प्राकृतिक सोंदर्य से भर पुर है कैलाश गुफा आने जाने का मार्ग आज कल काफी हद तक अच्छी हो गई है , कैलाश गुफा पर हर साल शिवरात्री में मेला लगता है जो दो तीन दिनों तक चलता है, इसे छोटा बाबा धाम भी बोला जाता है क्योकि यंहा सावन के महीने में पुरे महीने मेला लगा रहता है और दूर दूर से श्रद्धालु भगवान् शिव को जल चढाने के लिए कांवर लेकर पैदल यात्रा कर के आते है.
कैलाश गुफा का इतिहास
यह गुफा प्राचीन काल से स्थित है लेकिन उस वक़्त यंहा घन घोर जंगल होने की वजह से जंगली जीव जंतु होने की वजह से इसका किसी को पता नही था | इस गुफा में पहले शेर होता था ऐसा बताया जाता है| सन 1985 के लगभग श्री रामेश्वर गहिरा गुरु जी ने इस गुफा की खोज की वंहा उन्होंने कई वर्षो तक तपस्या भी किया था | श्री रामेश्वर गहिरा गुरु जी एक दिव्या शक्ति वाले ब्यक्ति थे उन्हें आज भी लोग पूजते हैं| गहिरा गुरु जी और उनके कुछ साथियों ने इस गुफा को बाद में सुधार कर के लोगो के आने जाने के लायक बनाया ताकी लोग भगवान शिव की पूजा करने आसानी से आ सके, इस जगह पर दो शिव लिंग है एक एक गुफा के उपर जिसे बुढा शिव कहते है बुढा शिव की लगभग 15 से 20 फिट लम्बी है और इसी की ठीक निचे गुफा के अन्दर एक शिव लिंग है निचे में जो शिव लिंग है उसकी फोटो दे राखी है इसी शिव जल चढ़ाने श्रद्धालुओ की भीड़ होती है दिनों में। इसी शिव लिंग के पास गहिरा गुरु जी ने तप किया था |
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कैलाश गुफा की दूरी कुछ निकटतम शहर से : –
- बगीचा : – 29 किमी।
- कांसाबेल: – 74 किमी।
- जशपुर: – 114 किमी।
- अंबिकापुर: – 80 किमी।
- बतौली : – 31 किमी।
- पथलगांव : – 110 किमी।
कैलाश गुफा का वर्णन
कैलाश गुफा प्राकृतिक सोंदर्य से भर पुर है यंहा की शांति और पेंड़ो और झंरनो की सरसराहट से मन शिव लीन हो जाता है कैलाश गुफा में चारो तरफ केले के पेड़ हैं और यंहा बन्दर भी बहुत है | कैलाश गुफा में बहुत सारे झरने (water fall) हैं यंहा एक बहुत बड़ा झरना है जिसका नाम अलकनंदा झरना (Alaknanda Water fall) है , यह काफी सुन्दर है और यंहा जाते ही पानी के गिरने की आवाज मन में काफी शांति लाती है |
इस गुफा की सबसे बड़ी खास बात यह है की इस गुफा के अन्दर सालभर पानी की धारा बहती रहती है जबकि गुफा के ऊपर कोई भी पानी श्रोत नही है अक्सर ऐसा होता है की जो भी यंहा पूजा करने आता है थोडा बहुत जरूर यंहा की पानी से भीग जाता है | इस गुफा का देख रेख पहले गहिरा गुरु जी महराज और उनके सहयोगी करते थे आज कल समरबार संस्कृत महाविद्यलय वाले करते हैं, कैलाश गुफा जाने के रस्ते में समरबार नामक एक ग्राम अत है जन्हा संस्कृत महाविद्यलय है| यंहा गहिरा गुरु का घर भी है|
कैलाश गुफा का मेला
कैलाश गुफा में हर साल शिव रात्रि के दिन मेला लगता है और यंहा पर दूर दूर से लोग भगवान् शिव के दर्शन के लिए आते है यह मेला दो तीन दिनों तक चलता है| कैलाश गुफा को छोटा बाबा धाम भी कहा जाता है क्योंकि यहा हर साल सावन के महीने पुरे महीने मेला लगा रहता है और आस पास के सभी श्रद्धालु कावर ले कर पैदल यात्रा कर के भगवन शिव को जल चडाने आते है| यहा पर सावन महीने के चारो सोमवार को अलग अलग तरफ के लोग आते है।
कैलाश गुफा कहा है
जशपुर जिले के बगीचा तहसील से लगभग 29 किलोमीटर की दुरी पर एक गुफा स्थित है जिसे कैलाश गुफा के नाम से जाना जाता है| बगीचा विकाश खंड के के ग़ायबुड़ा नामक ग्राम पंचायत से ३ किलोमीटर की दुरी पर पहाड़ी कैलाश गुफा स्थित है
अंबिकापुर से कैलाश गुफा कितना किलोमीटर है
अंबिकापुर से कैलाश गुफा की दूरी 80 किलोमीटर है
कैलाश गुफा का वीडियो
कैलाश गुफा के कुछ फोटो
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- Isi Raste se aap kailash gufa ke andar ja sakate hai
- Ek banawati tiger ka kykui ynha pahle sher rahta tha
- Gufa ke andar agarbati nhi jalaya jata aap yaha par agar bati jala sakte hai
- Gufa ke andar ka drishya
- shri gahira guru ki tasvir
- Kailash Gufa ka shiv ling